अमेरिका के किसी अन्य तत्कालीन अथवा पूर्व राष्ट्रपति ने इस संवेदनशील मुद्दे पर वैसा हस्तक्षेप नहीं किया जैसा ‘फ्रेंड ओबामा’ 2014 के बाद से कर रहे हैं। वे भारत की यात्रा पर आते हैं तब भी नहीं चूकते और अपने देश में बैठे-बैठे भी उन्हें चैन नहीं मिलता।
ओबामा पहले अमेरिका के गिरेबान में झांक कर देखें !
- विचार
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- श्रवण गर्ग
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- 4 Jul, 2023
दुनिया के सबसे बड़े सम्मान नोबेल शांति पुरस्कार से पुरस्कृत और अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा को बारह हज़ार किलोमीटर की दूरी पर बैठकर भारत के हिंदू-मुसलिम मामले में पड़ने से बचना चाहिए।

भारत का हिंदू-मुसलिम मामला उतना गंभीर नहीं है जितना ओबामा बनाना चाहते हैं या अमेरिका में डॉनल्ड ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने वहाँ के गैर-सवर्णों और तमाम अश्वेतों ,जिनमें कि मुसलिम भी शामिल हैं, के बीच बना रखा है। ट्रम्प समर्थक सवर्ण तो अब अपनी ही संसद पर हमले भी कर रहे हैं और ओबामा उन्हें रोक नहीं पा रहे हैं ! ओबामा जानते होंगे कि जितनी आबादी ( 24 करोड़) उनके देश में गोरे सवर्णों की है लगभग उतने भारत में मुसलमान हैं।
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