अमेरिका के किसी अन्य तत्कालीन अथवा पूर्व राष्ट्रपति ने इस संवेदनशील मुद्दे पर वैसा हस्तक्षेप नहीं किया जैसा ‘फ्रेंड ओबामा’ 2014 के बाद से कर रहे हैं। वे भारत की यात्रा पर आते हैं तब भी नहीं चूकते और अपने देश में बैठे-बैठे भी उन्हें चैन नहीं मिलता।