प्रधानमंत्री द्वारा सात फ़रवरी को राज्यसभा में विपक्ष के ख़िलाफ़ दिए गए धुआँधार भाषण के तुरंत बाद एक मुस्कुराते नीतीश कुमार की उनके साथ हुई मुलाक़ात की तस्वीरें मीडिया में जारी कर दी गईं। पटना में विपक्षी गठबंधन को धता बताने के बाद नीतीश की यह पहली दिल्ली यात्रा थी। चित्रों में दिखाए गए नीतीश के पहनावे और चेहरे की प्रसन्नता से नज़र आ रहा था जैसे उन्हें कुछ ऐसा प्राप्त हो गया है जिसकी सालों से उम्मीद थी। नीतीश ने जब अगस्त 2022 में भाजपा का साथ छोड़ कर तेजस्वी के साथ फेरे लिए थे तब उनके उपमुख्यमंत्री रहे भाजपा के सुशील मोदी ने कारण यह बताया था कि उनकी पार्टी ने उपराष्ट्रपति का पद देने की नीतीश की माँग ठुकरा दी थी। सुशील मोदी गंभीर क़िस्म के नेता हैं, नीतीश जितने चतुर नहीं हैं फिर भी उनके कहे पर ज़्यादा यक़ीन नहीं किया गया।
प्रतिरोध की क्रांति का सूत्रधार ही सत्ता का मुखबिर निकला!
- विचार
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- 8 Feb, 2024

जो व्यक्ति किसी समय दिल्ली की सत्ता को बदलने का सूत्रधार बनना चाहता था वही बीच रास्ते क्या मुखबिर साबित नहीं हुआ?
नीतीश दो साल बाद मूल ‘परिवार’ में पुनः लौट आए पर सुशील मोदी ने इस बार ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की कि जद(यू) नेता की पुरानी माँग इस बार मान ली गई है! भाजपा नेता ने सिर्फ़ इतना किया (होगा) कि नीतीश का उपमुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया और कथित ‘सुशासन बाबू’ की सुशील मोदी के रूप में तेजस्वी की तरह की कोई आत्मा प्राप्त करने की मंशा अधूरी रह गई। यह ज़रूर हुआ कि भाजपा ने नीतीश को दहेज में एक के मुक़ाबले दो उपमुख्यमंत्री दे दिये जिनमें एक सम्राट चौधरी हैं। नये ‘नातरे’ के बाद नीतीश कुमार ने घोषणा कर दी कि वे अब कहीं नहीं जाएँगे।