कल्पना सोरेन
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हार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोग क्या नापसंद करने लगे हैं? क्या उनकी लोकप्रियता में गिरावट आने लगी है? ऐसे सवाल पूछने की हिम्मत विरोधी भी नहीं कर पाते। ऐसा इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर में अपनी सभाओं में भीड़ जुटाई है और तारीफ बटोरी हैं। देश में भीड़ खींचने वाला उनसे बड़ा नेता कोई और नहीं है। उनके हर भाषण में जो राइमिंग होती है, जो तुकबंदी होती है या फिर जो एब्रिविएशन होता है वह किसी नेता के भाषण में नहीं दिखता।
मोदी पब्लिक से नारे लगवाते हैं, वे देश की जनता से ताली-थाली बजवाते हैं और यहां तक कि घरों में दीये भी जलवा लेते हैं। फिर अचानक ऐसा क्या और क्यों हुआ है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का सवाल गंभीर बनकर पेश हो रहा है?
प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को 35 घंटे में 35 लाख लोग सिर्फ एक यू-ट्यूब चैनल पर देख चुके हैं। यह बीजेपी का आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल है। मगर, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि इनमें से 8 लाख से ज्यादा लोगों ने उन्हें डिसलाइक यानी नापसंद किया हो। यू-ट्यूब पर ‘मन की बात’ में उन्हें लाइक या पसंद करने वालों की संख्या 1.5 लाख से ऊपर है। जितने लोगों ने उन्हें पसंद किया है उससे करीब छह गुणा अधिक लोगों ने उन्हें नापसंद किया है।
देश में 26 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी जेईई-एनईईटी की परीक्षा देने वाले हैं। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियां उन्हें चिंता में डाले हुए हैं। देशभर से सवाल उठ रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार इन परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए तैयार नहीं है।
क्या ये ही परीक्षार्थी 30 अगस्त को हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम से जुड़े हुए थे और प्रधानमंत्री के मुंह से अपने लिए कुछ अनुकूल बातें सुनने की उम्मीद लगाए बैठे थे? क्या इसीलिए जिस बीजेपी के यू-ट्यूब चैनल पर ‘मन की बात’ देखने के लिए पिछले एक साल में सिर्फ एक अवसर को छोड़कर कभी 2 लाख से ज्यादा व्यूज़ नहीं पहुंचे, उसी प्लेटफॉर्म पर उसी कार्यक्रम के लिए 35 घंटे में 35 लाख लोग आ गये?
सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार के ख़िलाफ़ लोग गुस्से में आ चुके हैं और क्या इसकी वजह यही है जो नीचे बताई जा रही हैं?-
• कोरोना महामारी को रोक पाने में सरकार का बुरी तरह विफल रहना।
• कोरोना काल में बेरोजगारी का 23 प्रतिशत के स्तर तक पहुंच जाना जो अब भी 11 प्रतिशत के स्तर पर है।
• सितंबर की तिमाही में जीडीपी गिरकर -23.9 प्रतिशत पर पहुंच जाना।
• कृषि, उद्योग, छोटे-व मझोले उद्योगों में विकास की गाड़ी का पीछे की ओर चलना।
• सीमा पर चीन की घुसपैठ और लगातार रक्षा चुनौतियों के बीच सरकार का बेबस दिखना।
• नफरत की सियासत को बढ़ावा देना।
अगर ये कारण नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी की वजह होते तो मार्च के महीने में ‘मन की बात’ देखने और उस दौरान प्रतिक्रियाओं में भी यह दिखना चाहिए था। मार्च में 2.9 लाख लोग बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर ‘मन की बात’ देखने पहुंचे। 9.3 हजार लोगों ने उन्हें पसंद किया जबकि 2.4 हजार लोगों ने नापसंद। अगस्त महीने को छोड़ दें तो बीते एक साल में सबसे ज्यादा दर्शक लॉकडाउन की घोषणा के बाद हुए ‘मन की बात’ में जुटे थे।
जिस महीने देश में एनआरसी का शोर शुरू हुआ या फिर शाहीन बाग आंदोलन शुरू हुआ उस महीने यानी दिसंबर, 2019 में भी बीजेपी के प्लटेफॉर्म पर मन की बात को देखने वाले 58,392 और लाइक करने वाले 2.9 हजार लोग थे। केवल 270 लोगों ने इस कार्यक्रम को डिसलाइक यानी नापसंद किया था।
फरवरी, 2020 में जब हेट स्पीच शबाब पर थी और दिल्ली में दंगे हुए, उस महीने भी 34,946 दर्शकों में 2 हजार लाइक्स और महज 148 डिसलाइक मिले थे। इतना अवश्य है कि दिसंबर, जनवरी और फरवरी में क्रमश: महज 58 हजार, 16 हजार और 34 हजार दर्शकों का ‘मन की बात’ देखने के लिए बीजेपी के प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा होना आश्चर्यजनक रूप से कम था। मार्च के बाद से कभी भी 1 लाख से कम दर्शक इस प्लेटफॉर्म पर नहीं रहे हैं।
कोरोना काल में घटी मोदी की लोकप्रियता? बीजेपी के यू-ट्यूब चैनल के आंकड़े
2019 में जब 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया और प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया तो उसके बाद ऐसा दर्शाया गया मानो समूचा देश नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ कर रहा हो। मगर, इस बात की पुष्टि बीजेपी के यू-ट्यूब प्लेटफॉर्म पर मौजूद ‘मन की बात’ पर दर्शकों की उदासीनता नहीं करती।
अगस्त महीने में यहां 72, 921 दर्शक आए। इनमें से 1.9 हजार लोगों ने इसे पसंद और 1.5 हजार लोगों ने नापसंद किया। मगर, सितंबर में स्थिति उलट गयी। बीजेपी के प्लेटफॉर्म पर जिन 92,249 लोगों ने ‘मन की बात’ देखा उनमें से 1.9 हजार लोगों ने इसे पसंद किया और तकरीबन इससे दोगुने लोगों ने यानी 3.7 हजार लोगों ने इसे नापसंद किया।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद कैसी रही मोदी की लोकप्रियता?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उस जगह मात खाते देखा जा रहा है जहां उनका एकछत्र राज रहा था।
प्रधानमंत्री को दुनिया में सबसे ज्यादा देखने, सुनने और मानने वाले नेताओं में एक माना जाता है। सोशल मीडिया में उनके फॉलोअर्स दुनिया में किसी भी नेता के मुकाबले ज्यादा हैं। उनके फॉलोअर्स की संख्या ट्विटर पर 6 करोड़ 17 लाख, फेसबुक पर 4 करोड़ 80 लाख 62 हजार और इन्स्टाग्राम पर 4 करोड़ 85 लाख है। यहां तक कि यू-ट्यूब पर भी उनके 75 लाख 30 हजार फॉलोअर्स हैं।
दर्शकों का इतना चहेता होने के बावजूद यू ट्यूब पर लोगों की ओर से नापसंद किया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है। यह बात भी चौंकाती है कि बीजेपी के यू-ट्यूब चैनल पर पिछले एक साल से सब्सक्राइबर्स की संख्या 30 लाख 80 हजार पर ठहरी हुई है। तो, क्या नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार के लिए यह चेत जाने का समय नहीं है?
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