नसीरुद्दीन शाह के बयानों पर प्रतिक्रिया देने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि उन्होंने ऐसी बात किन तथ्यों को लेकर कही है और इसके पीछे की वजह क्या है। दरअसल, हम सब एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जब हमें सवाल सुनना पसंद ही नहीं है। क़ाबिले-ग़ौर बात यह भी है कि सवाल से ज़्यादा हंगामा इस बात पर है कि सवाल पूछ कौन रहा है।