प्रधानमंत्री के इर्द-गिर्द एक ऐसा तंत्र विकसित हो गया है जिसने देश की एक बड़ी आबादी को उनकी दैनंदिन की गतिविधियों और व्यक्तित्व के दबदबे के साथ चौबीसों घंटों के लिए एंगेज कर दिया है। प्रधानमंत्री की मौजूदगी हवा-पानी की तरह ही नागरिकों की ज़रूरतों में शामिल की जा रही है। पार्टी और तंत्र से परे प्रधानमंत्री की छवि ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी ‘ के ‘कल्ट’ के रूप में विकसित और स्थापित की जा रही है। नागरिकों को और कुछ भी सोचने का मौक़ा नहीं दिया जा रहा है। महंगाई तो बहुत दूर की बात है।
प्रधानमंत्री मोदी कब तक शासन करना चाहते हैं?
- विचार
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- 3 Apr, 2022

प्रधानमंत्री मोदी की नींद को लेकर महाराष्ट्र बीजेपी के प्रमुख चंद्रकांत पाटील ने पिछले दिनों कहा कि : ‘पीएम सिर्फ़ दो घंटे सोते हैं और बाईस घंटे काम करते हैं। वे प्रयोग कर रहे हैं कि सोने की ज़रूरत ही नहीं पड़े। वे हरेक मिनट देश के लिए काम करते हैं।’
अलग-अलग कारणों से लगातार चर्चा में बने रहने वाले इंदौर शहर की एक ख़बर यह है कि एक मुसलिम किरायेदार ने अपने मुसलिम मकान मालिक के ख़िलाफ़ अधिकारियों से शिकायत की कि उसे मकान ख़ाली करने की धमकी इसलिए दी जा रही है कि उसने प्रधानमंत्री की तसवीर घर में लगा रखी है। जाँच के बाद बताया गया कि दोनों के बीच विवाद किराए के लेन-देन का है। किरायेदार को उम्मीद रही कि होगी कि मोदी की तसवीर उसके लिए सुरक्षा कवच का काम कर सकती है। किरायेदार अगर बहुसंख्यक समुदाय का होता तो स्थिति जाँच पूरी होने के पहले ही कोई अलग रूप ले सकती थी। सार यह है कि लोग प्रधानमंत्री की छवि का उपयोग स्वयं के डरने में भी कर रहे हैं और दूसरों को डराने में भी!