प्रधानमंत्री के इर्द-गिर्द एक ऐसा तंत्र विकसित हो गया है जिसने देश की एक बड़ी आबादी को उनकी दैनंदिन की गतिविधियों और व्यक्तित्व के दबदबे के साथ चौबीसों घंटों के लिए एंगेज कर दिया है। प्रधानमंत्री की मौजूदगी हवा-पानी की तरह ही नागरिकों की ज़रूरतों में शामिल की जा रही है। पार्टी और तंत्र से परे प्रधानमंत्री की छवि ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी ‘ के ‘कल्ट’ के रूप में विकसित और स्थापित की जा रही है। नागरिकों को और कुछ भी सोचने का मौक़ा नहीं दिया जा रहा है। महंगाई तो बहुत दूर की बात है।