प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसे भी चुनावी सभाओं में छुटभैये नेताओं और अपनी भाषा में फ़र्क़ मिटा देते हैं, लेकिन कर्नाटक की एक सभा में उन्होंने जिस तरह कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में सोनिया गाँधी पर तानी गयी छतरी को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का अपमान बताया, वह विशुद्ध बौखलाहट का नतीजा है। इसमें कांग्रेस की बढ़ी हालिया चमक से उपजी चिंता भी शामिल है। क्या मोदी जी से पलट कर पूछा जा सकता है कि कर्नाटक के एक दलित नेता का कांग्रेस अध्यक्ष बनना क्या उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है? कांग्रेस अधिवेशन में मल्लिकार्जुन खड़गे को कार्यसमिति चुनने का भी पूरा अधिकार सौंपा गया है, ऐसे में उन्हें रिमोट से चलने वाला खिलौना बताकर क्या उन्होंने कर्नाटक के लोगों का अपमान नहीं किया है? या फिर इसे देश के दलितों का अपमान क्यों न माना जाये?
क्या खड़गे को खिलौना बता कर पीएम ने दलितों का अपमान किया?
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- 3 Mar, 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर कर्नाटक में जो टिप्पणी की थी, वह क्या अपमानजनक नहीं थी? जानिए कांग्रेस से जुड़े पंकज श्रीवास्तव क्या लिखते हैं।
नरेंद्र मोदी अच्छी तरह जानते हैं कि सोनिया गाँधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन्होंने अगर छाते वाली तस्वीर देखी होगी तो यह भी देखा होगा कि अधिवेशन के मंच पर अकेले सोनिया गाँधी ही थीं जिन्होंने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था। वैसे भी तिरंगे को सलामी देते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के क़रीब खड़ीं सोनिया गाँधी को धूप से बचाने के लिए छतरी तानने वाला कोई कांग्रेस का नेता या कार्यकर्ता नहीं था। वह केंद्र द्वारा मुहैया कराया गया एक सुरक्षाकर्मी था। उसने सोनिया जी के स्वास्थ्य की स्थिति को जानते हुए उन्हें कड़ी धूप से बचाने के लिए एक सहज मानवीय पहल की। पीएम मोदी की तर्कशैली को अपनायें तो इसे भी केंद्र यानी उनकी साज़िश माना जाना चाहिए। कहना चाहिए कि छाता तानना दरअसल एक ‘तस्वीर बनाने’ की साज़िश थी।