प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसे भी चुनावी सभाओं में छुटभैये नेताओं और अपनी भाषा में फ़र्क़ मिटा देते हैं, लेकिन कर्नाटक की एक सभा में उन्होंने जिस तरह कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में सोनिया गाँधी पर तानी गयी छतरी को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का अपमान बताया, वह विशुद्ध बौखलाहट का नतीजा है। इसमें कांग्रेस की बढ़ी हालिया चमक से उपजी चिंता भी शामिल है। क्या मोदी जी से पलट कर पूछा जा सकता है कि कर्नाटक के एक दलित नेता का कांग्रेस अध्यक्ष बनना क्या उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है? कांग्रेस अधिवेशन में मल्लिकार्जुन खड़गे को कार्यसमिति चुनने का भी पूरा अधिकार सौंपा गया है, ऐसे में उन्हें रिमोट से चलने वाला खिलौना बताकर क्या उन्होंने कर्नाटक के लोगों का अपमान नहीं किया है? या फिर इसे देश के दलितों का अपमान क्यों न माना जाये?