भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन काफ़ी अहम माना जाता है। दिसंबर 1929 में हुए कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार ‘पूर्ण स्वराज’ का लक्ष्य घोषित हुआ था। अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गये जवाहरलाल नेहरू ने 31 दिसंबर को रावी के तट पर तिरंगा फहराकर अंग्रेज़ी राज के विरुद्ध ‘खुला विद्रोह’ करने का आह्वान किया था। लेकिन उनके लिए यह मात्र अंग्रेज़ी राज से मुक्ति का विद्रोह नहीं था। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था, “मुझे स्पष्ट स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं एक समाजवादी और रिपब्लिकन हूँ। मेरा राजाओं और महाराजाओं में विश्वास नहीं है, न ही मैं उस व्यवस्था में विश्वास रखता हूँ जो राजे-महाराजे पैदा करते हैं और जो पुराने राजों-महाराजाओं से अधिक जनता की ज़िंदगी और भाग्य को नियंत्रित करते हैं और जो पुराने राजों-महाराजों और सामंतों के लूटपाट और शोषण का तरीका अख्तियार करते हैं।”