सरकार चाहे तो इस तरह की चर्चाओं की गुप्त जाँच के लिए किसी एजेंसी की मदद ले सकती है कि क्या जनता का एक बड़ा वर्ग प्रधानमंत्री द्वारा अचानक घोषित कर दिए जाने वाले फ़ैसलों या फिर उनकी कठोर भाव-भंगिमा को लेकर हमेशा ही आशंकित या सहमा हुआ रहता है, उनके अन्य सहयोगियों से उतना नहीं।