अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा के ख़िलाफ़ अमेरिका द्वारा अक्टूबर 2001 में किए गए हमले और वहाँ से कोई 'बीस साल बाद' अपनी फ़ौजों की वापसी की कहानी को समझने के लिए न्यूयॉर्क स्थित उस स्मृति-स्थल, जिसे दुनिया 'ग्राउंड ज़ीरो' के नाम से जानती है, के सामने दो मिनट के लिए अपनी आँखें बंद करके खड़े होकर, उस दिन जो कुछ भी भयावह घटा होगा, उसकी कल्पना करना ज़रूरी है।
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- 11 Sep, 2021

अमेरिका ने 31 अगस्त 2021 तक की निर्धारित अवधि तक अपने बचे सवा लाख नागरिकों, सैनिकों और राजनयिकों को तो सुरक्षित बाहर निकल लिया, लेकिन उस देश को बाहर नहीं निकाल पाया जो उसके कारण पूरी तरह से पश्चिमी सभ्यता, वहाँ जैसी नागरिक आज़ादी , संस्कृति, आधुनिकता, शिक्षा, संगीत और खुलेपन का अभ्यस्त हो चुका था।
इस स्थान पर मुझ जैसे भारतीय का खड़े होकर कुछ तलाश करना उस आम अमेरिकी से काफ़ी अलग था, जो उसने उस 11 सितम्बर को पहली बार बीस साल पहले महसूस किया होगा, जिसमें पलक झपकते ही कोई तीन हज़ार लोग राख और हज़ारों अन्य ज़ख़्मी हो गए थे। यही वह जगह है जहाँ 11 सितम्बर 2001 को अमेरिकी आकाश में सूरज उगने तक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नाम से पहचान रखने वाले न्यूयॉर्क की शान 'ट्विन टावर्स' खड़े हुए थे।