इन्फ़ोसिस के सह-संस्थापक एन. नारायणमूर्ति के हफ्ते में सत्तर घंटे काम करने के बयान पर स्वाभाविक ही विवाद हो रहा है। इस भीषण बेरोज़गारी के दौर में काम की उपलब्धता बड़ा संकट है लेकिन नारायणमूर्ति के बयान से लगता है कि लोग काम करना नहीं चाहते या कम काम करते हैं। ज़ाहिर है, नारायणमूर्ति की चिंता के केंद्र में वे कंपनियाँ हैं जो आठ घंटे काम के संवैधानिक प्रावधान से बँधी हैं और श्रमसुधारों की आड़ में उनसे छुटकारा पाने के लिए छटपटा रही हैं। उनकी कोशिश निर्धारित वेतन में ही कर्मचारियों से ज़्यादा से ज़्यादा काम लेकर ‘उत्पादकता’ बढ़ाना है।