मध्यप्रदेश के बैतूल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के बड़े नेता राहुल गाँधी को ‘मूर्खों का सरदार’ कहकर भारत के प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने के अपने ही रिकॉर्ड को एक बार फिर तोड़ दिया है। ज़्यादा अफ़सोस की बात ये है कि यह टिप्पणी उन्होंने पहले प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर की जो विपक्ष के साथ मर्यादित व्यवहार की मिसाल थे। जिन्होंने आज़ादी के बाद कोई दबाव न होते हुए भी धुर विरोधियों को भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे विपक्षी युवा सांसद को भविष्य का प्रधानमंत्री कहने में संकोच नहीं किया। उनके बाद जितने भी प्रधानमंत्री हुए, उन्होंने निजी तौर पर विपक्ष के किसी नेता पर ऐसी अभद्र टिप्पणी नहीं की जैसा कि मोदी जी करते आये हैं। विपक्षी नेताओं के लिए ‘जर्सी गाय’, ‘हाइब्रिड बछड़ा’, ‘कांग्रेस की विधवा’ और ‘पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड’ जैसे विशेषण उनके मुखारबिंद से पहले भी टपक कर इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं।