भाजपा की प्रचार मशीनरी काफी मजबूत है और पार्टी का पितृ संगठन आरएसएस इस मशीनरी की पहुँच को और व्यापक बनाता है। आरएसएस-भाजपा के प्रचार अभियान का मूल आधार हमेशा से मध्यकालीन इतिहास को तोड़मरोड़ कर मुसलमानों का दानवीकरण और जातिगत व लैंगिक पदक्रम पर आधारित प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति का महिमामंडन रहा है। संघ परिवार समय-समय पर अलग-अलग थीमों का प्रयोग करता आया है। एक थीम यह है कि मुस्लिम राजाओं ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा। राममंदिर आन्दोलन का मूल सन्देश यही था। फिर देश की सुरक्षा भी एक प्रमुख थीम है, जिसमें पाकिस्तान को भारत का दुश्मन बताया जाता है। बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के पहले वे अन्य मुस्लिम-विरोधी थीमों के अतिरिक्त, मुसलमानों के भारतीयकरण की बात भी किया करते थे।
मोदी के चुनाव भाषण: झूठ और नफरत का सैलाब?
- विचार
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- 10 May, 2024

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस के घोषणा पत्र को मुस्लिमों से जोड़ने की कोशिश में एक के बाद एक जो दावे किए हैं, उसमें क्या कुछ सचाई है?
पिछले एक दशक में उन्होंने 'अच्छे दिन' की बात की और कई दूसरे जुमले भी उछाले, जैसे महिलाओं की सुरक्षा, हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख आएंगे और हर साल दो करोड़ लोगों को रोज़गार मिलेगा। कांग्रेस को भ्रष्ट पार्टी सिद्ध करने का प्रयास भी किया गया। आरएसएस से जुड़े संगठनों के समर्थन और उनके तत्वावधान में अन्ना आन्दोलन चलाया गया जिससे कई सालों तक लोगों के दिमाग में यह बैठा रहा कि कांग्रेस भ्रष्ट नेताओं की पार्टी है। फिर 2019 के चुनाव में पुलवामा-बालाकोट को मुद्दा बनाया गया और हमें बताया गया कि केवल भाजपा की सरकार ही देश की रक्षा कर सकती है। हालाँकि इस पूरी अवधि में मुस्लिम-विरोधी प्रचार भी जारी रहा। कहने की ज़रूरत नहीं कि आरएसएस-भाजपा के प्रचारक सत्य और तथ्यों को बहुत महत्व नहीं देते।