सात करोड़ की आबादी वाले शांतिप्रिय मध्य प्रदेश में भी क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर किसी कैराना की तलाश की जा रही है और मीडिया इस काम में विघटनकारी ताक़तों की मदद कर रहा है? साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील इंदौर के कुछ हिंदी अख़बारों ने अपने पहले पन्ने पर फ़ोटो के साथ एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया कि दंगा-प्रभावित खरगोन (इंदौर से 140 किलो मीटर) के बहुसंख्यक वर्ग के रहवासी इतनी दहशत में हैं कि वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए अपने आवासों को बेचना चाहते हैं। अख़बारों ने खरगोन से कई परिवारों के पलायन का समाचार भी प्रमुखता से प्रकाशित किया है।
दंगों के बीच खरगोन में नए कैराना की तलाश?
- विचार
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- 15 Apr, 2022

मध्य प्रदेश के खरगोन में क्या बहुसंख्यक समुदाय ही दहशत में है और वे लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं? अख़बारों ने किस आधार पर ऐसी ख़बर प्रकाशित की है? जानिए सच!
अख़बारों ने खबर के साथ जो चित्र प्रकाशित किया उसमें सरकारी योजना के तहत बने मकान की दीवार पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ की सूचना के साथ सम्पर्क के लिए एक मोबाइल नम्बर भी मोटे अक्षरों में लिखा हुआ है। दो प्रतिस्पर्धी अख़बारों ने एक ही मकान पर अंकित सूचना को सम्पर्क के लिए एक ही मोबाइल नम्बर के हवाले से दो अलग-अलग मालिकों के नामों और पतों की जानकारी से प्रकाशित किया है। मोबाइल नम्बर के प्रकाशन ने निश्चित ही देश भर के ख़रीददारों को मकान की सूचना और मध्य प्रदेश के ताज़ा साम्प्रदायिक हालत से अवगत करा दिया होगा। विवरण उसी खरगोन शहर के हालात का है जिसके ज़िले में देवी अहिल्याबाई होल्कर के जमाने की राजधानी महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।