यह बहुत ही निराशाजनक है कि प्रशासनिक अव्यवस्था और दूरदर्शी नीतियाँ नहीं होने के कारण इस मुश्किल स्थिति में पहुँचने के बावजूद हम आगे के लिए किसी योजना पर काम नहीं कर रहे हैं। देश की इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण साधारण काम नहीं है और चूँकि यह ज़रूरी है इसलिए सोच-समझकर सबसे प्रभावी और फायदेमंद तरीक़ा ढूंढा जाना चाहिए। एक तरफ़ टीकों की कमी है, दूसरी तरफ हर कोई लगवा सकता है और टीके की क़ीमत तय नहीं है। सरकार मुफ्त में किन लोगों को लगवाएगी, यह भी तय नहीं हुआ है, काम शुरू होना तो छोड़िए। अगर ग़रीबों को टीका नहीं लगे (कारण चाहे जो हो) तो जो टीका लगवाएंगे वे शत प्रतिशत सुरक्षित नहीं होंगे। इसलिए सरकार अगर सभी को मुफ्त में टीका नहीं लगवाएगी तो जिन्हें लगवाएगी उनकी संख्या भी कम नहीं है और उसपर जल्दी फ़ैसला होना ज़रूरी है। यह नहीं हो सकता है कि सरकार किसी को नहीं लगवाए। तब काफ़ी लोग बचे रह जाएँगे और जो लगवा लेंगे उन्हें पूरा लाभ नहीं मिलेगा।
टीके को लेकर भी सरकार की कोई नीति नहीं है!
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- 30 Apr, 2021

एक तरफ़ कोरोना टीकों की कमी है तो दूसरी तरफ हर कोई लगवा सकता है और टीके की क़ीमत तय नहीं है। सरकार मुफ्त में किन लोगों को लगवाएगी, यह भी तय नहीं हुआ है, काम शुरू होना तो छोड़िए। आख़िर टीकाकरण की नीति क्या है?