नरेंद्र मोदी तीस मई को अपने प्रधानमंत्री काल के सात वर्ष पूरे कर लेंगे। कहा यह भी जा सकता है कि देश की जनता प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के साथ अपनी यात्रा के सात साल पूरे कर लेगी। कोरोना महामारी के प्रकोप और लगातार हो रही मौतों के शोक में डूबा हुआ देश निश्चित ही इस सालगिरह का जश्न नहीं मना पाएगा। सरकार और सत्तारूढ़ दल के पास तो ऐसा कुछ कर पाने का वैसे भी कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है।
बढ़ती मौतों के बोझ से ढहती प्रधानमंत्री की लोकप्रियता?
- विचार
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- 26 May, 2021

प्रधानमंत्री अपने सात साल के सफ़र के बाद अगर किसी एक बात को लेकर इस समय चिंतित होंगे तो वह यही हो सकती है कि हरेक नागरिक कोरोना से उपजने वाली प्रत्येक परेशानी और जलाई जाने वाली हरेक लाश के साथ उनके ही बारे में क्यों सोच रहा है? ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ!
कहा जा रहा है कि मरने वालों के आँकड़े जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, नदियों के तटों पर बिखरी हुई लाशों के बड़े-बड़े चित्र दुनिया भर में प्रसारित हो रहे हैं, प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का ग्राफ भी उतनी ही तेज़ी से गिर रहा है। इस गिरावट को लेकर आँकड़े अलग-अलग हैं पर इतना तय बताया जाता है कि उनकी लोकप्रियता इस समय सात सालों के अपने न्यूनतम स्तर पर है।