हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें वे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स (फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि), जिनका कि हम आज धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं, या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा। और यह भी कि सरकार की नीतियों, उसके कामकाज आदि को लेकर जो कुछ भी हम आज लिख, बोल या प्रसारित कर रहे हैं उसे आगे जारी नहीं रख पाएँगे।
सोशल मीडिया पर मंडराता काला साया?
- विचार
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- 2 Jun, 2021

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों की आज़ादी पर किस तरह के सरकारी दबाव डाले जा रहे हैं, उसकी सिर्फ़ आधी-अधूरी जानकारी ही सार्वजनिक रूप से अभी उपलब्ध है। जिस सोशल मीडिया का उपयोग हम अभी नशे की लत जैसा इफ़रात में कर रहे हैं वह अपनी मौजूदा सूरत में ज़िंदा रह पाएगा भी या नहीं, हमें अभी पता नहीं है।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों की आज़ादी पर किस तरह के सरकारी दबाव डाले जा रहे हैं, उसकी सिर्फ़ आधी-अधूरी जानकारी ही सार्वजनिक रूप से अभी उपलब्ध है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर प्रसारित होने वाले कंटेंट पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए या नहीं, इस पर अदालतों में और बाहर बहस जारी है।