फ़ेक न्यूज़ पर नियंत्रण ज़रूरी है या फिर फ़ेक न्यूज़ का फ़ैक्ट चेक करने वालों का? इस सवाल का जवाब जो भी लेकिन लगता है कि ऑनलाइन फ़ैक्ट चेक करने वालों के लिए परेशानी बढ़ने वाली है। जानें क्यों।
केरल हाई कोर्ट ने निजी न्यूज़ चैनलों की संस्था न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन यानी एनबीए का पक्ष लेते हुए आदेश दिया कि फ़िलहाल नये आईटी नियमों को लागू नहीं करने के लिए कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
देश के 13 बड़े मीडिया संस्थानों के संघ ने कहा है कि नये आईटी नियम क़ानून के ख़िलाफ़ हैं और ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरोधी हैं। इसने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने दो मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है।
हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।
अभिव्यक्ति के अधिकार को नियंत्रित करने की मंशा से बीजेपी सरकार ने ‘सोशल मीडिया’ और समस्त डिजिटल प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने की कोशिश की है। अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू का मामला सरकारी शक्ति के दुरुपयोग का ताज़ातरीन मामला है।
डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर लाई गई सरकारी गाइडलाइंस से पहले मंत्रियों के समूह की बैठक क्यों हुई और उसमें क्या-क्या हुआ था? क्या मीडिया को नियंत्रित करने के लिए यह सब किया गया?
सरकार ने कहा कि वह डिजिटल मीडिया पर आने वाली सामग्री के लिए नियमावली या कोड ऑफ़ कंडक्ट और उसे चलाने वाले प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रही है।