क्या निष्पक्ष पत्रकारिता करना गुनाह है? क्या आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं है? और यदि ऐसा है तो यह सब कैसे हुआ? क्या इसलिए कि पत्रकार ही पत्रकार के दुश्मन हो गए हैं? ये सवाल इसलिए कि अब मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट ही कुछ ऐसी आई है। डिजिटल मीडिया गाइडलाइंस आने से पहले मंत्रियों के समूह ने इन मुद्दों पर चर्चा की थी। इस रिपोर्ट से कई सवाल उठते हैं। सवाल इसलिए भी कि डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के लिए लायी गई सरकार की गाइडलाइंस की मीडिया को नियंत्रित करने वाला कहकर आलोचना की जा रही है।