क्या निष्पक्ष पत्रकारिता करना गुनाह है? क्या आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं है? और यदि ऐसा है तो यह सब कैसे हुआ? क्या इसलिए कि पत्रकार ही पत्रकार के दुश्मन हो गए हैं? ये सवाल इसलिए कि अब मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट ही कुछ ऐसी आई है। डिजिटल मीडिया गाइडलाइंस आने से पहले मंत्रियों के समूह ने इन मुद्दों पर चर्चा की थी। इस रिपोर्ट से कई सवाल उठते हैं। सवाल इसलिए भी कि डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के लिए लायी गई सरकार की गाइडलाइंस की मीडिया को नियंत्रित करने वाला कहकर आलोचना की जा रही है।
कारवाँ रिपोर्ट: क्या पत्रकार ही पत्रकार के दुश्मन बन गए?
- देश
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- 5 Mar, 2021
डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर लाई गई सरकारी गाइडलाइंस से पहले मंत्रियों के समूह की बैठक क्यों हुई और उसमें क्या-क्या हुआ था? क्या मीडिया को नियंत्रित करने के लिए यह सब किया गया?

मंत्रियों के समूह की यह रिपोर्ट कथित तौर पर मौजूदा सरकार और मीडिया के संबंधों को उजागर करती है। ‘कारवाँ’ मैगज़ीन ने इस पर एक खोजपरक रिपोर्ट छापी है कि कैसे सरकार के पक्ष में या सकारात्मक ख़बरें प्रोत्साहित करने के लिए और छवि ख़राब करने वाली ख़बरों को रोकने के लिए रणनीति तैयार की गई। रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल मीडिया पर सरकार की ताज़ा गाइडलाइंस आने से काफ़ी पहले ही मंत्रियों का समूह इस पर लगातार काम कर रहा था और इस पर रिपोर्ट तैयार की गई थी।