भारतीय समाज बहुत धार्मिक और कुछ हद तक अंधविश्वासी रहा है। यही कारण है कि हिन्दू जनमानस मंदिरों और मठों से संचालित और नियंत्रित होता रहा है। इसके स्याह और उजले दोनों पक्ष रहे हैं। आज़ादी के आंदोलन में मोहनदास करमचंद गांधी पर अपढ़ और भोले-भाले भारतीय अगाध विश्वास करते थे। इसका एक कारण यह था कि गांधी के अनुयायियों ने उन्हें अलौकिक और देवदूत के रूप में प्रचारित किया था। गांधी जी को महात्मा और संत जैसी उपाधियाँ दी गयीं। इसका व्यापक प्रभाव भी हुआ।

गांधी के अनुयायियों ने उन्हें अलौकिक और देवदूत के रूप में प्रचारित किया था। गांधी जी को महात्मा और संत जैसी उपाधियाँ दी गयीं। इसका व्यापक प्रभाव भी हुआ।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।