लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या आम आपराधिक घटना नहीं है। यह आम दुर्घटना भी नहीं है कि प्रदर्शनकारी किसान गाड़ी के नीचे आ गये। यह किसानों के लिए हत्यारों में घोर नफ़रत का अंजाम है। मगर, ऐसी जानलेवा नफ़रत किसी हत्यारे में क्यों होगी, ख़ासकर तब जबकि व्यक्तिगत रूप से कोई दुश्मनी ना हो? बर्बरता की शक्ल में ये नफ़रत और क्रूरता वास्तव में सत्ता के अहंकार को प्रकट करती हैं। हत्यारे तो बस अहंकारी सरकार के प्रतिनिधि हैं।