28 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग स्मारक का लोकार्पण किया। अंग्रेजी राज में 10 मिनट की क्रूरता को आज़ादी के इतिहास का महत्वपूर्ण पल बताया। मगर, 10 महीने से किसानों पर बरती जा रही क्रूरता पर पूरी तरह मौन रहे प्रधानमंत्री। क्या ये वक्त आज़ादी के बाद के 75 वर्षों के इतिहास में विशेष नहीं हो चुका है जिसमें 500 से ज्यादा आंदोलनकारी किसानों की जानें चली गयी हैं, जिस दौरान पुलिस की लाठियों से किसानो के कपड़े ख़ून से तर-बतर हो गये हैं!
अमृत महोत्सव वर्ष में आज़ाद भारत की विभीषिका बताती हैं ये चार तस्वीरें
- विचार
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- 20 Sep, 2021

आज़ादी के 75वें साल में जारी अमृत महोत्सव के दौरान चार अन्य तसवीरें भी देश ने 28 अगस्त को देखी। क्या आज़ाद भारत की विभीषिका नहीं बताती हैं ये तसवीरें?
आज़ादी के 75वें साल में जारी अमृत महोत्सव के दौरान चार अन्य तस्वीरें भी देश ने 28 अगस्त को देखी। इनमें दो तस्वीरों ने जहां जलियांवाला बाग कांड के गमगीन पलों को जिन्दा कर दिखाया, वहीं तीसरी तस्वीर ने यह बताया कि दबे-कुचले आदिवासियों के लिए आज़ादी का मतलब कभी भी क्रूरतापूर्वक बेमौत मारा जाना है। चौथी तस्वीर में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद पंडित जवाहर लाल नेहरू को अमृत महोत्सव के पोस्टर के लायक नहीं समझती।