महामना ज्योतिबा फुले (11 अप्रैल, 1827- 28 नवंबर, 1890) हिन्दू धर्म के पाखंडवाद के आलोचक और शूद्रों-अतिशूद्रों-स्त्रियों को आधुनिक शिक्षा देने वाले पहले शिक्षक माने जाते हैं। उनके लेखन और संघर्ष से प्रभावित बाबा साहब डॉ. आंबेडकर ने बुद्ध और कबीर के बाद ज्योतिबा फुले को अपना तीसरा गुरू माना है। हिन्दू धर्म में ईश्वरवाद और वर्णवाद की तीखी आलोचना करते हुए ज्योतिबा फुले ने शूद्रों की गुलामी के इतिहास की बारीक विवेचना की है। इस लिहाज से ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत के पहले शूद्र इतिहासकार हैं।
ज्योतिबा फुले: जीवन भर दी ब्राह्मणवाद को चुनौती
- विचार
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- रविकान्त
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- 4 Dec, 2020


रविकान्त
हिन्दू धर्म में ईश्वरवाद और वर्णवाद की तीखी आलोचना करते हुए ज्योतिबा फुले ने शूद्रों की गुलामी के इतिहास की बारीक विवेचना की है।
- Ravikant
- Jyotirao phule
रविकान्त
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।