सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में इसके बारे में कई गंभीर प्रश्न खड़े हो गये हैं। इन नियुक्तियों पर अब न्यायपालिका से जुड़े लोगों, वकीलों और क़ानून के जानकारों में काफ़ी बेचैनी देखने को मिल रही है। हाल के दिनों में मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विजया ताहिलरमानी का तबादला मेघालय कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने यह फ़ैसला करते हुये तर्क दिया कि ऐसा प्रशासनिक न्याय के तक़ाज़े के तहत किया गया। जस्टिस ताहिलरमानी ने तबादला स्वीकार नहीं किया और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। मद्रास हाईकोर्ट के वकील कॉलीजियम के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं और अनशन पर चले गये। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और रिटायर होने के पहले तक कॉलीजियम के सदस्य रहे जस्टिस मदन बी. लोकुर ने इस संदर्भ में ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ में एक लेख लिखा है। अपने लेख में लोकुर ने कॉलीजियम की कार्यप्रणाली और जजों की नियुक्ति की तीखी आलोचना की है। उन्होंने लिखा है कि यहाँ कुछ ऐसा हो रहा जो हमें पता नहीं है।
न्यायपालिका में कुछ हो रहा है जिसकी हमें ख़बर नहीं: जस्टिस लोकुर
- विचार
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- 11 Sep, 2019
जस्टिस मदन बी लोकुर ने न्यायपालिका में नियुक्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। बता दें कि जस्टिस ताहिलरमानी ने पिछले हफ़्ते ही मुख्य न्यायाधीश के पद से इस्तीफ़ा दिया है। उनको मद्रास हाई कोर्ट जैसे बड़े कोर्ट से हटा कर मेघालय जैसे बेहद छोटे कोर्ट में भेजा जा रहा था। जस्टिस लोकुर ने तंज किया कि मुख्य न्यायाधीश को एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट भेजने के कारणों की पड़ताल के लिए शर्लाक होम्स की ज़रूरत पड़ेगी।
