कथित मुख्यधारा की पत्रकारिता का हाल देखते हुए न्यूज़ चैनल के ऐंकर और ऐंकरानियों का ‘इंडियन स्टेट’ और ‘इंडियन रिपब्लिक’ में फ़र्क़ न कर पाना स्वाभाविक है। लेकिन केंद्र में हुकूमत कर रही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का भी यह फ़र्क़ न समझना चिंता की बात है। उनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर चुनाव आयोग समेत कई संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों के पक्षपात के व्यापक संदर्भ में दिया गया ‘इंडियन स्टेट से संघर्ष’ का राहुल गाँधी का बयान ‘देश तोड़ने वाला’ है तो फिर इमरजेंसी लगने से पहले भारत की सेना और पुलिस से इंदिरा सरकार के आदेशों को न मानने का आह्वान करने वाला जय प्रकाश नारायण का बयान क्या था? क्या जे.पी.नड्डा, राहुल गाँधी की तरह जेपी को भी ‘देश-तोड़क’ कहेंगे?
क्या राहुल की तरह जे.पी. को भी ‘देश-तोड़क’ कहेंगे नड्डा?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

‘सेना’ और ‘पुलिस’ इंडियन स्टेट का अहम अंग है। अगर इंडियन स्टेट के ख़िलाफ़ संघर्ष की बात करना देश तोड़ना है तो जे.पी. भी इसके ‘अपराधी’ सिद्ध होंगे। वैसे, यह कोई एक मामला नहीं था। महँगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शुरू हुए आंदोलन के तहत 1974 में जो रेल हड़ताल हुई थी, वह भी ‘इंडियन स्टेट’ के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा थी।
राहुल गाँधी ने 15 जनवरी को कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन समारोह में देश के हालात का गंभीर विश्लेषण पेश किया था। उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को सच्ची आज़ादी मिलने से इंकार करके आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ‘देशद्रोह’ जैसा काम किया है। किसी और देश में इस बयान के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया होता। उन्होंने आरोप लगाया था कि आरएसएस ने देश की लगभग हर संस्था पर क़ब्ज़ा कर लिया है। राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ मतदाताओं के बढ़ने को लेकर चुनाव आयोगी की चुप्पी का सवाल उठाते हुए कहा, ‘हम सिर्फ़ बीजेपी नामक राजनीतिक संगठन और आरएसएस से नहीं बल्कि इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।’