चुनावी मौसम (अप्रैल-मई 2024) के आगे बढ़ने के साथ ही कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बार भाजपा को वोट पाने में मदद करने के लिए आरएसएस के स्वयंसेवक मैदान में नहीं हैं। सिख-विरोधी दंगों के बाद हुए 1984 के आम चुनाव के अलावा, अब तक हुए सभी चुनावों में आरएसएस ने भाजपा की मदद की है। इस चुनाव में आरएसएस की भूमिका चर्चा का विषय है। भाजपा के अध्यक्ष जे।पी। नड्डा ने द इंडियन एक्सप्रेस (19 मई 2024) में प्रकाशित अपने एक साक्षात्कार में दावा किया है कि आरएसएस एक सांस्कृतिक-सामाजिक संगठन है जबकि भाजपा एक राजनैतिक दल है। नड्डा ने कहा कि, ‘भाजपा अब आत्मानिर्भर है और अपने मामलों में निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम है। पिछले सालों में पार्टी परिपक्व हुई है और अटलबिहारी वाजपेयी के दौर - जब वह पूरी तरह आरएसएस पर निर्भर थी - जैसे स्थिति अब नहीं है।’