अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक की गोरे पुलिसकर्मी के घुटने के नीचे हुई मौत से भारत देश के एक सौ तीस करोड़ नागरिकों को ज़्यादा सरोकार नहीं है। निश्चित ही इस तरह की घटनाएँ हमें कहीं से परेशान नहीं करतीं। उसके कई कारण भी हैं। सरकार की ओर से किसी प्रतिक्रिया की उम्मीद इसलिए नहीं की जा सकती है कि हम न तो दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में कोई हस्तक्षेप करते हैं और न ही अपने मामलों में बर्दाश्त करते हैं।