देश इस समय एक अभूतपूर्व संकट से गुज़र रहा है। इसे हमारे राजनीतिक नेतृत्व की खूबी ही माना जाना चाहिए कि जो कुछ भी चल रहा है उसके प्रति लोग स्थितप्रज्ञ अवस्था को प्राप्त हो गए हैं। अर्थात असीमित दुखों की प्राप्ति पर भी मन में किसी भी प्रकार का कोई उद्वेग नहीं उत्पन्न हो रहा है। कछुए की तरह जनता ने भी अपने सभी अंगों को समेट लिया है। दुनिया की कोई भी हुकूमत ऐसी समर्पित प्रजा पाकर अपने आपको धन्य और कृतार्थ महसूस कर सकती है।