देश में नफ़रतें फैलाई जा रही हैं और धर्म के नाम पर तनाव फैला कर राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है। ऐसे में, हम सब का कर्तव्य है कि हिन्दू मुसलिम तनाव पैदा करने की कोशिश को नाकाम करें और वह सच सामने पेश करें जिससे दोनों वर्गों के बीच की दूरियाँ कम हों।

क्या हिंदू और मुसलमान सभी पहले एक ही ईश्वर के मानते थे और क्या सभी के पूर्वज एक ही थे? यदि ऐसा है तो आख़िर हिंदू-मुसलिम के बीच ऐसा फर्क क्यों आया? क्या नफ़रत भी उसी का नतीजा है?
मैं, हिन्दुओं और मुसलमानों को बताना चाहता हूँ कि हम सब एक ही ईश्वर के मानने वाले हैं और हमारे पूर्वज एक ही थे। मैं इस तरफ़ भी लोगों को ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि धर्म इंसानों के कल्याण के लिए आया था लेकिन अब धर्म को इंसानों की जान लेने या उनको प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेष कर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच बहुत नफ़रत फैलाई जा रही है जबकि इन दोनों का रिश्ता एक ही महापुरुष से जा कर मिलता है।