वैसे तो नेताओं के पर्यायवाची के रूप में रहबर, रहनुमा, मार्गदर्शक, नेतृत्व प्रदान करने वाला आदि बड़े ही सुन्दर-सुन्दर शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं। परन्तु यह भी शाश्वत सत्य है कि आज दुनिया में हो रही प्रायः हर उथल-पुथल के लिए यही नेता व रहबर ज़िम्मेदार हैं।
इतिहास इस बात का भी हमेशा साक्षी रहा है कि जिसने भी सत्ता का दुरूपयोग करते हुए अपने शासन काल में नफ़रत, ज़ुल्म, अत्याचार या सामाजिक नफ़रत का ज़हर फैलाया प्रायः ऐसे नेताओं का हश्र भी बुरा ही हुआ है। परन्तु न जाने क्यों तानाशाही प्रवृति के नेतागण इतिहास की उन घटनाओं से सबक़ नहीं लेते और सत्ता या बहुमत में आने के बाद समाज में नफ़रत का ज़हर फैलाने लगते हैं।
नफ़रत के सौदागरों को मुसलमानों का ये चेहरा क्यों नहीं दिखता?
- विचार
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- 24 May, 2020

कोरोना संकट के दौरान देश में कई जगहों पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाई गई तो कई जगहों पर लोग जाति-धर्म का भेद किए बिना एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए।