देश में जब हर कोई अपनी आमदनी और ख़र्च में तालमेल बिठाने के लिए जूझ रहा है, ठीक उसी दौर में उद्योगपति गौतम अडानी दुनिया के पांचवें नंबर के सबसे बड़े अमीर बन चुके हैं। बेशक देश में बढ़ती महंगाई और गौतम अडानी की बढ़ती अमीरी के बीच सीधा रिश्ता साबित करना आसान काम नहीं है, फिर हमारे अर्थशास्त्रियों की ऐसे विश्लेषण में कोई दिलचस्पी भी नहीं है। इसलिए इस ख़बर को इस तर्क के साथ स्वीकार किया जा रहा है कि बाजार में अडानी की कंपनियों के शेयर अचानक ही उछल गए और सिर्फ इसी वजह से गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्त में थोड़ा और उपर पहुंच गए।

देश में क्या गरीबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई का ही नतीजा है कि गौतम अडानी दुनिया के सबसे पाँच अमीरों में शामिल हो गए हैं? कोरोना जैसे संकट के बीच अडानी यह उपलब्धि कैसे हासिल कर पाए?
अमीरों की फेहरिस्त में सभी भले ही इस तरह ऊपर न खिसके हों लेकिन इस दौर में लाभ कमाने वालों में ऐसे ही कई और नाम भी हैं। महंगाई के दौर में उनकी कंपनियों को शेयर क्यों उछल गए, इसका विश्लेषण शायद ही कहीं दिखाई दिया हो।