देश का मौजूदा सच तो यही है कि करीब 80 करोड़ जनता यानी 60 फीसदी आबादी राशन के 6 किलो प्रति महीने मिलने वाले अनाज पर निर्भर है। इस सच का दावा मोदी सरकार ही कर रही है। और अगर सच यही है तो इस सरकार को सबसे पहले तो यह घोषणा करनी चाहिए कि देश की हालत नाजुक है ,विकास के सारे दावे झूठे हैं और सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है।

लेकिन क्या सरकार के पास इतनी आत्मशक्ति है ? जिस देश की 80 करोड़ जनता सरकारी कल्याणकारी योजना राशन के दम पर पेट पालने को अभिशप्त हो उस देश की सरकार के लिये ये शर्म की बात है !