देश का मौजूदा सच तो यही है कि करीब 80 करोड़ जनता यानी 60 फीसदी आबादी राशन के 6 किलो प्रति महीने मिलने वाले अनाज पर निर्भर है। इस सच का दावा मोदी सरकार ही कर रही है। और अगर सच यही है तो इस सरकार को सबसे पहले तो यह घोषणा करनी चाहिए कि देश की हालत नाजुक है ,विकास के सारे दावे झूठे हैं और सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है।
लेकिन क्या सरकार के पास इतनी आत्मशक्ति है ? जिस देश की 80 करोड़ जनता सरकारी कल्याणकारी योजना राशन के दम पर पेट पालने को अभिशप्त हो उस देश की सरकार के लिये ये शर्म की बात है !
मोदी युग का अमृतकाल- 60 फीसदी आबादी 6 किलो अनाज पर निर्भर
- विचार
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- 22 Feb, 2022

मोदी सरकार के विकास के तमाम दावों के बीच 80 करोड़ भारतीय आबादी सरकार से मिलने वाले प्रति माह 6 किलो राशन पर निर्भर है और यही मोदी युग का अमृतकाल है।
यह सच है कि देश में अब किसी की भूख से मौत न के बराबर होती है लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि भीख के अनाज [सरकारी राशन ] को अगर बंद कर दिया जाए तो मौजूदा समय का जो सच है उसमे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है। क्योंकि लोगो के पास खाने के लिए कोई दूसरा जुगाड़ भी नहीं है। तो ऐसे में इस सरकार से पूछा जाना चाहिए कि पिछले लगभग आठ साल में उसकी उपलब्धि क्या रही है ?