बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के एक न्यायाधीश ने एक वकील की एफ़आईआर पर आदेश जारी किया है कि पुलिस उन 49 कलाकारों और बुद्धिजीवियों से पूछताछ करे, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनका ध्यान भीड़ की हिंसा और सांप्रदायिक तनाव की ओर आकर्षित किया है। अदालत का यह क़दम एकदम विचित्र है।
क्या भारत में चल रहा है तानाशाही का दौर?
- विचार
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- 6 Oct, 2019

प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश की किसी स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह करना कौन सा अपराध है? इसे देशद्रोह कहना तो शुद्ध मजाक है। जो क़ानून इस तरह के कामों को अपराध मानता है, उस क़ानून को बेझिझक कूड़े की टोकरी के हवाले किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश की किसी स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह करना कौन सा अपराध है? इसे देशद्रोह कहना तो शुद्ध मजाक है। जो क़ानून इस तरह के कामों को अपराध मानता है, उस क़ानून को बेझिझक कूड़े की टोकरी के हवाले किया जाना चाहिए। यदि इस तरह के पत्रों या बयानों से देशद्रोह होता है या विद्रोह फैलता है तो फिर सारे अख़बारों और टीवी चैनलों पर भी मुक़दमे चलेंगे और उन पर प्रतिबंध की मांग की जाएगी।