इस समय देश में अभूतपूर्व हालात बने हुए हैं। एक तरफ जहां देश भर के किसान तीन नए कृषि कानूनों को अपनी मौत का वारंट मानकर उन्हें रद्द कराने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार ने इन कानूनों को अपनी नाक का सवाल बना लिया है। उसने इन कानूनों को रद्द करने से इनकार कर दिया है। अलबत्ता वह इन कानूनों में कुछ संशोधन करने के लिए राजी है लेकिन किसानों का कहना है उन्हें कानूनों को रद्द किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है।

किसानों के आंदोलन को तरह-तरह से बदनाम करने, उसमें फूट डालने और किसानों को हिंसा के लिए उकसाने की तमाम सरकारी कोशिशें भी नाकाम हो चुकी हैं।