प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। यह मुद्दा सबसे पहले उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही छेड़ा था। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद उन्होंने इस मुद्दे को छेड़ा। तब उन्होंने इस पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक भी आयोजित की थी। यही नहीं, संसद में राष्ट्रपति से उनके अभिभाषण में भी इसका ज़िक्र करा कर यह जताने की कोशिश की थी कि उनकी सरकार वाक़ई इस मुद्दे पर संजीदगी से आगे बढ़ रही है। अब इसी बात को उन्होंने हाल ही में 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौक़े पर फिर दोहराया है। उन्होंने पूरे देश के लिए एक मतदाता सूची बनाने की बात करते हुए कहा कि सारे चुनाव एक साथ होने चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। वह बार-बार इसे मुद्दे को क्यों छेड़ रहे हैं? चुनाव आयोग पर क्या असर होगा?