चुनाव आयोग की नींद वाक़ई खुल गयी है? आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ 27 दिसंबर को बैठक की। ओमिक्रॉन के ख़तरे को देखते हुए स्थिति की गंभीरता का अब आयोग आकलन करेगा और फिर उस आधार पर निर्णय लेगा कि पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव रोका जाना चाहिए या नहीं। मगर, फ़ैसला लेने में सबसे बड़ी बाधा खुद चुनाव आयोग की विश्वसनीयता है।
पाँच राज्यों में चुनाव पर पुनर्विचार: आयोग की विश्वसनीयता ही सबसे बड़ा संकट
- विचार
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- 29 Mar, 2025

कोरोना के ओमिक्रॉन संक्रमण के ख़तरे के बीच पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे या नहीं? चुनाव आयोग के संभावित फ़ैसले पर अभी से ही क्यों हो रहा है विवाद?
आयोग के फ़ैसले पर सबकी नज़र रहेगी। चुनाव आयोग चाहे जो फ़ैसला करे- उसका विरोध भी होना तय है। वजह है अविश्वास। यह अविश्वास इतना गहरा हो चुका है कि यह विश्वास कर पाना मुश्किल होगा कि लिया गया फ़ैसला सचमुच चुनाव आयोग का है।