मथुरा और कृष्ण एक बार फिर यूपी की सियासत के केंद्र में आ गये हैं। इस बार वजह कुछ अलग है। मंदिर निर्माण के बजाए योगी आदित्यनाथ को मथुरा में प्रतिष्ठित करने का भोकाल है। मगर, इसके पीछे भी बीजेपी के भीतर की अंदरूनी सियासी चाल है। मथुरा के रूप में योगी आदित्यनाथ के लिए ‘वाटरलू’ की खोज है जहां नेपोलियन जैसे योद्धा की भी हार निश्चित रहती है।