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योगी के लिए बीजेपी में ‘वाटरलू’ की खोज क्यों?

मथुरा और कृष्ण एक बार फिर यूपी की सियासत के केंद्र में आ गये हैं। इस बार वजह कुछ अलग है। मंदिर निर्माण के बजाए योगी आदित्यनाथ को मथुरा में प्रतिष्ठित करने का भोकाल है। मगर, इसके पीछे भी बीजेपी के भीतर की अंदरूनी सियासी चाल है। मथुरा के रूप में योगी आदित्यनाथ के लिए ‘वाटरलू’ की खोज है जहां नेपोलियन जैसे योद्धा की भी हार निश्चित रहती है।

राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने मथुरा में योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाने की अनुशंसा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजी है। उन्होंने लिखा है कि भगवान श्री कृष्ण ने सपने में आकर ऐसी इच्छा प्रकट की है कि योगी आदित्यनाथ को मथुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाए। अब भला श्रीकृष्ण योगी आदित्यनाथ के लिए ‘वाटरलू’ खोजने की इच्छा क्यों जताएं?

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नड्डा के सामने क्यों जतायी इच्छा?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक करियर से जुड़ा इतना महत्वपूर्ण सपना सांसद ने खुद योगी से क्यों साझा नहीं किया? क्यों इस चिट्ठी को सीधे सार्वजनिक कर दिया? योगी आदित्यनाथ ने इस पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। न तो उन्होंने मथुरा से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी है, न ही इस पेशकश को खारिज किया है। 

मथुरा विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल सीट है। डिप्टी सीएम श्रीकांत शर्मा यहीं से विधायक हैं। यूपी की सियासत में ब्राह्मण बीजेपी से नाराज़ हैं। सच यह है कि वे बीजेपी से कम, योगी आदित्यनाथ से ज्यादा नाराज़ हैं। ऐसे में ब्राह्मण बहुल सीट से योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाने की सलाह किसी शुभचिंतक की सलाह नहीं होसकती। तो क्या योगी आदित्यनाथ को भावनात्मक रूप से मथुरा में फंसाने की कोशिश की जा रही है? 

मथुरा से योगी लड़ेंगे चुनाव?

मथुरा के साधु-संत भी योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ने का न्योता दे रहे हैं। इस सीट पर श्रीकांत शर्मा को एक लाख से अधिक वोटों से जीत मिली थी। फिर भी योगी आदित्यनाथ के लिए यह सीट सुरक्षित नहीं कही जा सकती। 

एसपी, बीएसपी और आरएलडी को कभी मथुरा विधानसभा सीट से सफलता नहीं मिली है। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 9 बार और बीजेपी ने 5 बार यहां से चुनाव जीता है। कांग्रेस कमजोर जरूर हुई है लेकिन योगी आदित्यनाथ के खिलाफ यहां कांग्रेस नाराज़ ब्राह्मणों को साथ करने की क्षमता रखती है। 

अगर एसपी और आरएलडी ने योगी के खिलाफ कांग्रेस का रणनीतिक समर्थन कर दिया तो योगी के लिए यह सीट मुश्किल हो जाएगी। अब योगी आदित्यनाथ मना करें, तो कैसे करें। हालांकि योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि वे चुनाव लड़ेंगे और पार्टी जहां से टिकट देगी, वहां से वे चुनाव लड़ेंगे।

योगी के मथुरा से चुनाव लड़ने को लेकर हो रही चर्चा के बीच अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया सामने रख दी। उन्होंने सपने के जवाब में एक और सपने का जिक्र छेड़ दिया। कहा, कि भगवान श्रीकृष्ण उन्हें हर दिन सपने में आकर कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है। यह एक तरह से बीजेपी सांसद की चिट्ठी की गंभीरता को कम करने और उसी अंदाज में हंसी-मजाक करने जैसी प्रतिक्रिया है यह। 

अच्छा होता कि वे भी योगी आदित्यनाथ को मथुरा से चुनाव लड़ने की चुनौती को आगे बढ़ाते और सियासी तौर पर उन्हें घेरने की कोशिश करते। 

CM Yogi may contest from Mathura - Satya Hindi

योगी पर भारी पड़ेगी ‘कंस’ वाली टिप्पणी

योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया और उनकी तुलना कंस का महिमामंडन करने वाला करार दिया। वास्तव में योगी ने ऐसा कह कर भारी भूल कर दी है। यादव समुदाय में इसकी प्रतिक्रिया हो सकती है। पिछले चुनाव में अखिलेश यादव से अलग हुआ यादव समुदाय एक बार फिर उनसे जुड़ जा सकता है। इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने ज़मीन तैयार कर दी है। 

हालांकि चाचा शिवपाल यादव को साथ जोड़ लेने के बाद माना यह जा रहा है कि यादवों का ध्रुवीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में होना तय है। अब एक और बहाना योगी ने दे दिया है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान कृष्ण ने उनसे (अखिलेश यादव को) यह भी कहा होगा कि जब तुम्हें सत्ता मिली थी, तब मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन के लिए कुछ नहीं कर पाए, बल्कि कंस को पैदा कर जवाहरबाग की घटना कर दी। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते जवाहरबाग की घटना में अतिक्रमण हटाए जाते वक्त एक ब्राह्मण डीएसपी को जान से हाथ धोना पड़ा था और परिजनों ने 20 लाख रुपये का मुआवजा तक लेने से मना कर दिया था।

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मथुरा पर जोर क्यों?

चुनाव लड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ भी ताल ठोंक रहे हैं और अखिलेश यादव भी। दोनों की भाषा एक जैसी है। पार्टी जहां से तय कर दे, वे चुनाव लड़ने को तैयार हैं। अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव का जिक्र कर जता दिया है कि उनके लिए चुनाव लड़ने के लिए एक से बढ़कर एक सीटें हैं। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर छोड़कर बाकी सीटों में अयोध्या और मथुरा का ही नाम चर्चा में है। 

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने का मकसद है। योगी आदित्यनाथ इसका भरपूर फायदा उठा सकते हैं। मगर, मथुरा में यह मकसद नहीं है। मथुरा में चुनाव लड़ने से विवादास्पद मंदिर का मुद्दा भले ही नये सिरे से परवान चढ़ने लगे, लेकिन नाराज़ ब्राह्मण योगी आदित्यनाथ की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। 

पश्चिम उत्तर प्रदेश में नाराज़ किसानों ने जो बीजेपी विरोध की फिजां तैयार की है उसका असर भी इलाके में दिख रहा है। मथुरा ही नहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश की हर सीट बीजेपी के लिए चुनाव में मुश्किल होने वाली है।
हालांकि गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद जैसे इलाके में सुरक्षित सीट खोजी जा सकती है। मगर, योगी आदित्यनाथ के लिए जोखिम भरी कवायद क्यों? आखिर बीजेपी में ऐसे लोगों की मंशा क्या है जो योगी आदित्यनाथ की सीट को लेकर ही प्रयोग करने की पहल कर रहे हैं? क्या ये वास्तव में योगी आदित्यनाथ की मदद कर रहे हैं?
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प्रेम कुमार
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