भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और सांसद राहुल गांधी द्वारा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में भारत को यूनियन ऑफ स्टेट्स अर्थात “राज्यों का संघ” कहने से देश का अपमान नहीं हुआ है। संविधान में जो लिखा है उसे कहने में सिर्फ वही लोग अपमान महसूस कर सकते हैं जिन्हे भारत के संविधान को मानने में आज भी समस्या है। वास्तव में राहुल गांधी ने जो कहा, भारत के संविधान की शुरुआत ही इस अनुच्छेद से होती है (अनुच्छेद-1)। संविधान की शुरुआत को उद्धृत करना अपराध नहीं है। फिर चाहे वो जमीन भारत की हो या भारत के बाहर किसी अन्य देश की। जिस तरह देश में केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई, ईडी और नारकोटिक्स ब्यूरो का इस्तेमाल गैर बीजेपी राज्यों में चल रही सरकारों के नेताओं और अन्य विपक्षी नेताओं को खंगालने में किया जा रहा है उससे नहीं लगता कि केंद्र और सरकार के बीच सबकुछ ठीक है। जब तक देश के सभी राज्य अपने अधिकारों और केंद्र की हमलावर नीतियों से असुरक्षित रहेंगे भारत का संविधान और उसका स्थायित्व भी खतरे में बना रहेगा।
समझना यह है कि वास्तव में देश का अपमान विदेशी जमीन पर कब और कैसे होता है?देश का सम्मान और अपमान देश के प्रतिनिधि से जुड़ा हुआ है।भारत का प्रतिनिधित्व पिछले सात सालों से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। इन सात सालों में भारत के प्रधानमंत्री ने अनगिनत मौकों पर देश की पिछली चुनी हुई सरकारों की नीतियों की आलोचना करने की सबसे उपयुक्त जगह देश के बाहर पाई है।
क्या भारत अपमान और शर्म समझता है
- विचार
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- 29 Mar, 2025

प्रधानमंत्री मोदी स्वयं एक चुने हुए प्रतिनिधि हैं, क्या उन्हे नहीं पता कि जब एक बहुमत की सरकार बनकर तैयार होती है तब जनता अपने प्रधानमंत्री पर किस किस्म का भरोसा जता रही होती है?