पिछले छह-सात वर्षों से वैसे तो केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल की ओर से कैलेंडर देख कर हर मौके पर कोई न कोई इवेंट होता रहता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित तमाम योजनाओं को उपलब्धि की तरह पेश करते हुए आयोजन किए जाते हैं, भले ही उन योजनाओं के कोई सकारात्मक परिणाम न मिले हों। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गई नोटबंदी का कोई जिक्र न तो सरकार की ओर से किया जाता है और न भारतीय जनता पार्टी कभी उसका नाम लेती है। हाल ही में नोटबंदी के पांच साल पूरे होने पर भी उसके बारे में कुछ नहीं कहा गया।

नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार ने बड़े-बड़े दावे किये थे। लेकिन सरकार कुछ नहीं कर सकी। पांच साल बाद ऐसा लगता है कि नोटबंदी पूरी तरह फ़ेल रही।
इससे पहले भी आठ नवंबर को नोटबंदी की बरसी पर सरकार और सत्तारूढ़ दल दोनों मौन रहे हैं। इस बार भी दोनों चुप्पी साधे रहे। अलबत्ता इस बार सोशल मीडिया में नोटबंदी छाई रही। इससे पहले कभी भी नोटबंदी को लेकर इस तरह प्रधानमंत्री निशाने पर नहीं आए थे।
पांच साल पूरे होने पर विपक्ष तो हमलावर रहा ही, आम लोगों ने भी सोशल मीडिया में अपनी तकलीफें साझा कीं और प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों के उस समय के भाषणों व बयानों के वीडियो क्लिप शेयर करते हुए उनका मजाक उड़ाया।