राज्यपाल एक संवैधानिक पदाधिकारी है। वह राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है और संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक़ उसे राज्य सरकार की सलाह से काम करना होता है। वह राज्य सरकार की हर उस सलाह को मानने के लिए बाध्य होता है, जो संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक़ राज्य सरकार उसे देती है।

पिछले कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि कमोबेश सभी ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपाल राज्य सरकार की सलाह से नहीं बल्कि खुलेआम केंद्र सरकार की सलाह से काम कर रहे हैं।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देखने में यह आ रहा है कि कमोबेश सभी ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपाल राज्य सरकार की सलाह से नहीं बल्कि खुलेआम केंद्र सरकार की सलाह से काम कर रहे हैं या केंद्र की शह पर अपनी मनमानी करते हुए राज्य सरकारों को परेशान कर रहे हैं। इस सिलसिले में राजस्थान और महाराष्ट्र के उदाहरण तो बिल्कुल ताज़ा हैं।