अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमित्त देश और विदेश में जितना व्यापक उत्साह उत्पन्न किया गया है उतने ही बड़े प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं। इन प्रश्नों का उत्तर दिया भी जा रहा है लेकिन कहीं उन्हें रागद्वेष के दायरे में ठेल कर दरकिनार किया जा रहा है तो कहीं पर यह दावा किया जा रहा है कि सब कुछ विधि विधान से हो रहा है और ठीक चल रहा है। लेकिन इस दौरान मंदिर निर्माण का प्रबंधन देख रही संस्था श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र जो जवाब दे रही है उससे पारदर्शिता बढ़ने की बजाय घटती जा रही है।
अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठाः धर्म और राजनीति अपनी मर्यादा नहीं लांघे!
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- 20 Jan, 2024

अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख बिल्कुल नजदीक आ चुकी है। लेकिन देश में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हर पक्ष के अपने तर्क हैं। लेकिन यह बात तो साफ ही है कि धर्म और राजनीति अलग-अलग चीजें हैं। उनके घालमेल पर कई बार खतरनाक नतीजे आते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी की टिप्पणी पढ़िए और उनकी इस महत्वपूर्ण लाइन पर विचार कीजिए- अयोध्यावादी जीत रहे हैं और अयोध्यावासी हार रहे हैं।
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।