सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने गुरुवार को कहा कि कोर्ट नागरिकता संशोधन क़ानून से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई तब तक नहीं करेगा जब तक इससे जुड़ी हिंसा नहीं रुक जाती। जब जामिया मिल्लिया में हुई पुलिस ज़्यादतियों की शिकायत करने के लिए वकील सुप्रीम कोर्ट गए थे, तब भी बोबड़े ने कहा था कि पहले हिंसा रुकवाइए, फिर हम सुनवाई करेंगे। मानो, सुप्रीम कोर्ट मानकर चल रहा हो कि दिल्ली में जो भी हिंसा हो रही थी, वह जामिया के छात्र ही कर रहे थे जबकि पुलिस की ही जाँच से पता चला कि हिंसा में जामिया के छात्रों का कोई हाथ नहीं था और हिंसा के लिए गिरफ़्तार किए गए लोगों में जामिया का कोई छात्र नहीं था।
नागरिकता क़ानून: सुप्रीम कोर्ट की ‘ज़िद’ और हिंसा
- विचार
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- 10 Jan, 2020

मामला चाहे जामिया के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का हो या नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए आंदोलनों के दौरान हुई आगजनी का। सुप्रीम कोर्ट अगर इन मामलों में जल्द सुनवाई शुरू कर देता तो इससे हिंसा को रोका जा सकता था। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण लोगों को फ़ैसले का इंतजार रहता और न्याय मिलने की उम्मीद भी होती। लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ और हिंसा और पुलिस की ज़्यादतियों के बीच ऐसा लगता है कि देश में एक युद्ध छिड़ गया है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश