झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन ने रविवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके लिए उन्हें अपनी क़िस्मत के साथ-साथ बीजेपी के नेताओं को भी धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने अपने सहयोगी दल आजसू के साथ सीटों का तालमेल करते समय लचीला रुख नहीं अपनाया और इस भरोसे रहे कि वे अपने दम पर बहुमत जुटा लेंगे।
झारखंड का जादू : लोकप्रियता बीजेपी की बढ़ी, सरकार विपक्ष की बनी
- झारखंड
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- 26 Dec, 2019

झारखंड में बीजेपी को पहले से 12 सीटें कम मिली हैं लेकिन उसका वोट शेयर 2% बढ़ गया है यानी पहले से उसकी लोकप्रियता बढ़ी है। ज़्यादा वोट मिलने के बाद भी वह इसलिए हारी कि उसने और उसके सहयोगी आजसू ने यह चुनाव मिलकर नहीं लड़ा। यदि लड़ा होता तो वे 40 सीटों पर विजयी रहते और रविवार को हेमंत सोरेन की जगह बीजेपी के ही किसी नेता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली होती।
उनका सोचना बहुत ग़लत भी नहीं था अगर हम इन चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर ग़ौर करें। बीजेपी की हार और उसकी सीटों में हुई कमी (37 के मुक़ाबले 25) से लगता है कि मुख्यमंत्री रघुबर दास की कार्यप्रणाली के कारण ही पार्टी वहाँ अलोकप्रिय हुई है। लेकिन सच्चाई यह नहीं है। सच्चाई यह है कि राज्य में बीजेपी की लोकप्रियता 2014 के मुक़ाबले 2% बढ़ी है यानी 31.3% से बढ़कर 33.4% हुई है। दूसरे शब्दों में 2014 में राज्य के जितने लोग बीजेपी को पसंद करते थे, 2019 में उससे ज़्यादा लोग उसे पसंद कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह बीजेपी सरकार के काम की वजह से ही हुआ होगा।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश