तो जनगणना भी रुक गई है। कायदे से अब तक पिछले दशक के बदलाओं और विकास को बताने वाले आँकड़े आ जाने चाहिए थे लेकिन अभी तो जनगणना शुरू भी नहीं हुई है। ऐसा 150 साल में पहली बार हो रहा है। इस बार सरकार की तरफ से कोरोना को कारण बताया गया लेकिन 2019 तक तो कोरोना कहीं न था और तब तक जनगणना की शुरुआत हो जानी चाहिए थी। बीते हर अवसर पर जनगणना का काम इतना पहले तो शुरू हो ही जाता था। और जिस तरह जनगणना में शामिल जानकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जनगणना का फार्म बड़ा हो रहा है, उसे भरवाना ज्यादा समय ले रहा है और उसके आंकड़ों का मिलान और विश्लेषण ज्यादा व्यक्त की मांग करते हैं। इसलिए होना यही चाहिए था कि वक़्त पर शुरुआत जरूर हो जानी चाहिए थी। पर जैसे सरकार किसी बहाने का इंतज़ार कर रही थी। कोरोना ने वह अवसर दे दिया।