आज संघ प्रमुख मोहन भागवत की सारी बातें सरकार और मोदी जी के समर्थक मानते ही हों, यह ज़रूरी नहीं रह गया है। लेकिन उनकी बातें इतनी हल्की भी नहीं हुई हैं कि उस पर ध्यान देना ज़रूरी न रह जाए। कुछ समय पहले उन्होंने ‘हर मस्जिद में मूर्तियाँ क्यों ढूँढी जाए’ वाला बयान दिया था जिसकी काफी तारीफ हुई हालाँकि काफी सारे हिंदुत्ववादी लोग उससे हैरान-परेशान भी हुए और आलोचना तक की। पर अभी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाने की जो बात की उससे संघ परिवार और हिंदुत्ववादी जमात के ज़्यादातर लोग सहमत होंगे। और यह महज संयोग नहीं है। जब तब केंद्र के मंत्री और विभिन्न राज्य सरकारों की तरफ़ से भी जनसंख्या नीति बनाने या परिवार को सीमित करने वाले प्रावधान लाने वाली बातें की जाती हैं। कभी दो बच्चों से ज्यादा बड़े परिवार वालों को चुनाव लड़ने के अधिकार या मताधिकार से बाहर करने की बात कही जाती है तो कभी उनको राशन व्यवस्था जैसी सरकारी सुविधाओं से वंचित करने की बात उठती है। कई बार राज्य स्तरीय कानून बनाने की असफल कोशिश भी हो चुकी है।
मोहन भागवत ने क्यों दिया जनसंख्या पर बयान?
- विचार
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- अरविंद मोहन
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- 13 Sep, 2022


अरविंद मोहन
क्या भारत में जिस दर से आबादी बढ़ रही है वह चिंता का विषय है? जब ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि देश में आबादी बढ़ने की दर अब उतनी हो गई है जहाँ जनसंख्या स्थिर हो जाती है तो फिर इस पर इतनी चिंताएँ क्यों हैं?
- Mohan Bhagwat
- Population Control
अरविंद मोहन
अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।