उत्तर प्रदेश विधानसभा के पिछले दिनों संपन्न हुए चुनावों में जहाँ भारतीय पार्टी अपनी सीटों में 2017 की तुलना में 57 सीटें कम आने के बावजूद सत्ता में वापस आ गयी वहीँ समाजवादी पार्टी ने अपने मत प्रतिशत में इज़ाफ़ा करते हुये 2017 के मुक़ाबले लगभग 64 सीटें अधिक हासिल कर कुल 111 सीटों पर विजयी होने के बावजूद सत्ता के जादुई आंकड़े से काफ़ी दूर रही।
कांशीराम की मेहनत पर पानी फेरतीं मायावती!
- विचार
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- 17 Mar, 2022

उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीएसपी की करारी हार के बाद पार्टी की मुखिया मायावती की लगातार आलोचना हो रही है। बीजेपी की जीत के लिए भी उन्हें जिम्मेदार बताया जा रहा है।
इन चुनावों में सबसे अधिक नुक़सान बहुजन समाज पार्टी को उठाना पड़ा जिसे 2017 के मुक़ाबले 18 सीटें और गंवाकर राज्य की मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल हुई। और उस एकमात्र विजयी प्रत्याशी उमाशंकर सिंह के विषय में भी यही बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने निजी जनाधार व लोकप्रियता के चलते यह जीत हासिल की है न की मायावती के समर्थन अथवा बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के नाते।
उत्तर प्रदेश में बलिया ज़िले के अंतर्गत रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विजयी बसपा से निर्वाचित एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह इससे पूर्व भी 2012 व 2017 में यहाँ से विधायक रह चुके हैं। क्षेत्र में समाजसेवी के साथ साथ उनकी रोबिन हुड जैसी छवि बनी हुई है। यही उनकी जीत का प्रमुख कारण माना जा रहा है।