हमारे देश में 'मीडिया' व पत्रकारिता का स्तर इतना गिर चुका है कि 'गोदी मीडिया ', 'दलाल मीडिया' व 'चाटुकार मीडिया' जैसे शब्द प्रचलन में आ गये हैं। दुर्भाग्यवश सत्ता प्रतिष्ठान को 'दंडवत ' करने तथा सत्ता के एजेंडे को प्रसारित करने वाले पत्रकारों को भी दलाल, चाटुकार व बिकाऊ पत्रकारों जैसी उपाधियों से नवाज़ा जा चुका है।
पत्रकारों के सवालों से 'लाजवाब' होते ये 'रणछोड़'
- विचार
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- 19 Jan, 2022

कुछ नेता और कथित धर्म गुरु पत्रकारों के तीखे सवालों से आखिर तिलमिला क्यों जाते हैं और क्यों हिंसा व मारपीट पर उतारू हो जाते हैं?
कहना ग़लत नहीं होगा कि मुख्य धारा के अधिकांश मीडिया घराने तथा इससे जुड़े पत्रकार, पत्रकारिता जैसे ज़िम्मेदाराना पेशे की मान मर्यादा व कर्तव्यों का पालन करने के विपरीत चाटुकारिता, धनार्जन तथा सत्ता के समक्ष नत मस्तक होने को ही पत्रकारिता मान बैठे हैं।
परन्तु आज भी देश में बीबीसी व एनडीटीवी जैसे कुछ गिने चुने मीडिया संस्थान, अनेक सोशल मीडिया साइट्स तथा इन्हीं से जुड़े कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो 'वास्तविक पत्रकारिता ' की लाज बचाए हुए हैं।