बेटियों के अधिकारों, उनकी रक्षा, मान सम्मान व उनकी तरक़्क़ी को लेकर जितना ढिंढोरा हमारे देश में पीटा जाता है या यूँ कहें कि जितना दिखावा किया जाता है उतना किसी अन्य देश में नहीं किया जाता। यदि हमारा समाज वास्तव में पैतृक संस्कारों, उपदेशों, भाषणों व कन्या हितैषी सरकारी योजनाओं के अनुसार देश की बेटियों का पालन पोषण कर रहा होता, उसे पूरा मान सम्मान दे रहा होता, बेटी को धर्म-जाति, ग़रीब-अमीर, ऊंच-नीच के चश्मे से न देखा जाता तो आज घर घर में रानी लक्ष्मी बाई, ज्योति बाई फूले, फ़ातिमा शेख़, बेगम हज़रत महल, रज़िया सुल्तान, इंदिरा गाँधी, सरोजनी नायडू, लक्ष्मी सहगल से लेकर कल्पना चावला तक जैसी महिलायें पैदा होकर देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन कर रही होतीं।