देश में जब कभी परिवारवाद या परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा अथवा संरक्षण देने की बात होती है तो कांग्रेस विरोधी केवल नेहरू-गाँधी परिवार पर ही सीधा निशाना साधते हैं। कभी कभी तो यह आरोप उस समय और भी हास्यास्पद प्रतीत होने लगते हैं जबकि स्वयं परिवारवादी राजनीति को प्रश्रय देने या परिवारवाद की राजनीति का शिकार लोग ही नेहरू-गाँधी परिवार पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं।
क्या केवल नेहरू-गाँधी का 'परिवारवाद' ही लोकतंत्र के लिये ख़तरा है?
- विचार
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- 30 Dec, 2021

राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप सिर्फ़ कांग्रेस पर क्यों लग रहा है? जबकि बीजेपी में कई नेता ऐसे हैं, जो वंशवादी राजनीति से ही आए हैं।
अभी विगत 26 नवंबर 2021 को भारत को अपना संविधान अपनाए हुए 72 वर्ष पूरे हुए। इसी दिन वर्ष 1949 में बाबा साहब डॉ. भीम राव आंबेडकर ने देश को नया संविधान सौंपा था, जिसे 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू कर दिया गया था।
इस अवसर पर गत संसद भवन में एक विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीति पर तंज़ कसते हुए कहा, “भारत एक ऐसे संकट की तरफ़ बढ़ रहा है, जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है। लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वो हैं पारिवारिक पार्टियां।”