भारतवर्ष में आपातकाल की घोषणा से पूर्व जब स्वर्गीय संजय गांधी अपनी मां प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को राजनीति में सहयोग देने के मक़सद से राजनीति के मैदान में उतरे उस समय उन्होंने अपने जिस सबसे ख़ास मित्र को अपने विशिष्ट सहयोगी के रूप में चुना उस शख़्सियत का नाम था अकबर अहमद 'डंपी'। डंपी के पिता इस्लाम अहमद उत्तर प्रदेश पुलिस में आईजी थे तथा दादा सर सुल्तान अहमद इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे।
बीजेपी में क्यों असहज हैं वरुण गाँधी?
- विचार
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- 13 Oct, 2021

वरुण गांधी पर एक समय बीजेपी के 'फ़ायर ब्रांड’ नेता होने का लेबल चिपका था। उन्हें योगी आदित्यनाथ के बराबर खड़ा करने की तैयारी शुरू हो चुकी थी। तो फिर अब ऐसा क्या हो गया कि सबकुछ बदल गया?
डंपी संजय गाँधी के सहपाठी होने के अतिरिक्त उनके 'हम प्याला' और 'हम निवाला' भी थे। संजय गाँधी के राजनीति में पदार्पण से पूर्व डंपी विदेश में नौकरी कर अपना करियर बना रहे थे। परन्तु संजय गाँधी के निमंत्रण पर वह नौकरी छोड़ भारत वापस आये और स्वयं को संजय गाँधी व उनके परिवार के प्रति समर्पित कर दिया।