और बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन कर दिया गया। हज़ारों की तादाद में मज़दूर पैदल चले जा रहे हैं। मेरे ज़हन में आज़ादी के समय हुए देश विभाजन की तसवीर ताज़ा हो गयी। अतीत अपने को दोहरा रहा है। बच्चों, औरतों, बुजुर्गों, नौजवानों का रेला चला जा रहा है। कई किलोमीटर की दूरी तय कर ये अपने अपने गाँव, घर पहुँचने के लिए दिन-रात चल रहे हैं।

बिहार की इतनी बड़ी आबादी के लिए सिर्फ़ तीन जगह कोरोना वायरस के जाँच के इंतज़ाम हैं। आरएएमआरआई, आईजीएमएस और दरभंगा मेडिकल कॉलेज। आँकड़े कहते हैं कि प्रति एक लाख आबादी पर सिर्फ़ तीन लोगों की जाँच की सुविधा है।
इनकी यंत्रणा दोहरी है। मीलों पैदल चलकर घर आए कई लोगों को गाँव के मुहाने पर ही रोक दिया गया है। कोरना ने इन्हें निर्वासन का दंड दिया है। सरकारी इंतज़ाम इतना बुरा है कि इनमें से अधिकांश लोगों ने वहाँ रहने से इनकार कर दिया है।