और बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन कर दिया गया। हज़ारों की तादाद में मज़दूर पैदल चले जा रहे हैं। मेरे ज़हन में आज़ादी के समय हुए  देश विभाजन की तसवीर ताज़ा हो गयी। अतीत अपने को दोहरा रहा है। बच्चों, औरतों, बुजुर्गों, नौजवानों का रेला चला जा रहा है। कई किलोमीटर की दूरी तय कर ये अपने अपने गाँव, घर पहुँचने के लिए दिन-रात चल रहे हैं।